Collegium meaning in hindi, Collegium का मतलब क्या है

“Collegium” शब्द का मतलब होता है “सलाहकारों का समूह” या “समान शक्तियों वाला बोर्ड”। हिंदी में इसका अनुवाद “मंडल” या “समिति” के रूप में किया जा सकता है। Collegium kya hai, Collegium ka matlab kya hai, Collegium meaning in hindi

भारत में Collegium प्रणाली

भारत में, Collegium प्रणाली न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण के लिए जिम्मेदार है। यह प्रणाली संविधान में स्पष्ट रूप से उल्लिखित नहीं है, बल्कि 1993 में “एस.पी. गुप्ता बनाम भारत सरकार” मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा विकसित की गई थी।

Collegium प्रणाली के तहत

  • भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) और सर्वोच्च न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों का एक समूह न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण के लिए सिफारिशें करता है।
  • CJI इन सिफारिशों का अध्यक्ष होता है और इनमें बदलाव भी कर सकता है।
  • सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के लिए, Collegium की सिफारिशें आमतौर पर सरकार द्वारा स्वीकार की जाती हैं।
  • उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के लिए, सरकार सिफारिशों को वापस भेज सकती है, और यदि Collegium अपनी सिफारिशों को दोहराता है, तो सरकार को उन्हें स्वीकार करना होता है।

Collegium प्रणाली के पक्ष में तर्क

  • यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने में मदद करता है।
  • यह योग्य और अनुभवी न्यायाधीशों की नियुक्ति में सहायक होता है।
  • यह सरकार द्वारा न्यायाधीशों की नियुक्ति में राजनीतिक हस्तक्षेप को रोकता है। Collegium kya hai, Collegium ka matlab kya hai, Collegium meaning in hindi

Collegium प्रणाली के विपक्ष में तर्क

  • यह न्यायपालिका को “अस्पष्ट” बनाता है और इसकी जवाबदेही कम करता है।
  • यह योग्यता के बजाय वरिष्ठता पर अधिक जोर देता है।
  • यह न्यायाधीशों की नियुक्ति में विविधता की कमी ला सकता है।

Collegium क्या है

Collegium, भारत में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए एक प्रणाली है, जिसमें मौजूदा न्यायाधीश ही नए न्यायाधीशों का चयन करते हैं। यह प्रणाली 1993 में “दूसरे न्यायाधीशों के मामले” के फैसले के बाद स्थापित हुई थी।

Collegium में कौन-कौन शामिल होते हैं

Collegium में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीशों (Chief Justice of India सहित) का एक समूह शामिल होता है। वर्तमान में, इसमें 5 सदस्य हैं।

Collegium कैसे काम करता है

Collegium संभावित न्यायाधीशों की योग्यता और उपयुक्तता का मूल्यांकन करता है, और फिर उनकी नियुक्ति के लिए प्रस्ताव करता है। प्रस्तावों को राष्ट्रपति द्वारा अनुमोदित किया जाता है, और फिर नियुक्तियां की जाती हैं।

Collegium के पक्ष में क्या तर्क दिए जाते हैं

  • न्यायिक स्वतंत्रता: Collegium न्यायपालिका को कार्यपालिका और विधायिका से स्वतंत्रता प्रदान करता है, जिससे न्यायाधीशों को बिना किसी डर या पक्षपात के निर्णय लेने में सक्षम बनाता है।
  • गुणवत्तापूर्ण नियुक्तियां: Collegium का दावा है कि यह प्रणाली सबसे योग्य और मेधावी व्यक्तियों को न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने में मदद करती है।
  • अनुभव और विशेषज्ञता: Collegium के सदस्यों के पास न्यायिक नियुक्तियों का व्यापक अनुभव और विशेषज्ञता होती है, जो उन्हें बेहतर निर्णय लेने में सक्षम बनाता है।

Collegium के खिलाफ क्या तर्क दिए जाते हैं

  • अस्पष्टता और गोपनीयता: Collegium की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता की कमी है, जिससे यह आरोप लगता है कि नियुक्तियां मनमाने तरीके से की जाती हैं।
  • जवाबदेही की कमी: Collegium किसी भी बाहरी निकाय के प्रति जवाबदेह नहीं है, जिससे यह चिंता पैदा होती है कि इसका दुरुपयोग हो सकता है।
  • विविधता का अभाव: Collegium में अक्सर उच्च जाति और पुरुषों का प्रतिनिधित्व अधिक होता है, जिससे न्यायपालिका में विविधता की कमी होती है।

Collegium के विकल्प क्या हैं

कुछ लोगों ने सुझाव दिया है कि Collegium को एक संवैधानिक निकाय द्वारा बदल दिया जाना चाहिए जिसमें न्यायाधीशों, वकीलों और नागरिक समाज के प्रतिनिधि शामिल हों।

Collegium पर क्या बहस चल रही है

Collegium भारत में एक विवादास्पद विषय रहा है। इसके समर्थक और विरोधी दोनों ही पक्षों ने अपनी-अपनी राय रखी है।

Collegium का भविष्य क्या है

यह स्पष्ट नहीं है कि Collegium का भविष्य क्या होगा। सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में National Judicial Appointments Commission (NJAC) अधिनियम को रद्द कर दिया था, जिसने Collegium प्रणाली को बदलने का प्रयास किया था। Collegium kya hai, Collegium ka matlab kya hai, Collegium meaning in hindi